Puja ki Kunwari chut

मेरा नाम प्रिन्स है, बनारस का रहने वाला हूँ। मैं एक हट्टे-कट्टे जिस्म
का मालिक हूँ, लम्बाई 6'2", हमेशा जिम जाता हूँ और 50" का सीना है, मिला
जुला कर मैं एक बॉडी बिल्डर हूँ, मेरा लंड भी 9" लम्बा और 3" मोटा है।
यह कहानी शुरु हुई जब मेरे घर नए किरायेदार आये, उनका छोटा परिवार जिसमें
पति, पत्नी और उनकी बेटी है। हम सभी खुश थे, मगर मैं ज्यादा खुश था
क्यूंकि एक सुंदर लड़की जो आई थी।
मैं उनकी बेटी के बारे में बता दूँ, उनकी बेटी का नाम पूजा था और नाम की
तरह वो भी बहुत सुंदर थी, गोरी सी, छोटी सी चूची, पतली कमर नाज़ुक सी
गांड जिसे देखते ही मन करता था कि अभी चोद दो। दोस्तो, तब मैं 18 साल का
था। आप सब जानते ही हैं कि यह उम्र कितनी खतरनाक होती है मगर जब मैं उससे
मिला तो मिलते ही उसने मुझे भैया कहा जिसे सुनते ही मेरे लंड पे दौड़ता
मुर्गा फ्राई हो गया। मगर जब भी वो मुझसे अकेले में मिली तो आप, अगर कोई
साथ में हो तो भैया कहे, जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था।
कहानी की शुरुआत हुई होली में ! मैं अपने दोस्तों के साथ होली खेलने बाहर
गया था, वैसे भी बनारस की होली बहुत मशहूर होती है और गुरु जब भांग का
रंग चढ़ता है तो मज़ा दोगुना हो जाता है। जब मैं रंग खेल कर घर आया तो
अन्दर आते ही पूजा ने रंग से मुझे सराबोर कर दिया, भाई बनारसी खून लहरा
गया, झट से मैंने पूजा को पकड़ लिया और उसी के रंग से उसे रंग लगाना शुरु
कर दिया।
मौका देख कर पूजा ने काट लिया और छत पर चली गई। मैं कहाँ पीछे रहने वाला
था, मैं भी उसके पीछे हो लिया वो तो बस रंग से या मेरी पकड़ से बचना
चाहती थी। इसी भागा दौड़ी में वो सीढ़ी की तरफ तेजी से आई, फर्श गीला
होने की वजह से उसका पैर फिसला और वो सीढ़ी से गिरते हुए नीचे लुढ़क गई।
मेरी तो हालत ख़राब हो गई, तुरंत नीचे आया और देखा तो पूजा के सर से खून
निकल रहा था। तुरंत उसे अपनी गोद में उठाया, उसके पापा को लिया और कार
में बैठा कर हॉस्पिटल के लिए चल दिया। वहाँ पता चला कि एक पैर में मोच थी
और सर फट गया था। एक दिन बाद उसे होश आया तो जान में जान आई।
जब मैं उसे देखने गया तो उसने दबी आवाज में थेंक्स कहा। उसी बीच उसके
पेपर चल रहे थे तो मेरे पेरेंट्स ने मुझे सजा के तौर पे पूजा को रोज पेपर
दिलाने ले जाने को कहा। यहीं से मैं और पूजा करीब आये, हम रोज साथ में
कुछ अच्छा समय बिताने लगे और कब हमें प्यार हो गया हमें पता ही नहीं चला।
एक दिन मैंने उसे पेपर के बाद एक रेस्तराँ में उसे प्रोपोज़ कर दिया और
वो मान गई। धीरे-धीरे हम बहुत करीब आ गये और दिन पर दिन हमारा रिश्ता
अपनी हदें पार करता जा रहा था।
हमारा मिलन जुलाई के गर्म महीने में हुआ, दोस्तों वैसे भी बनारस में
गर्मियों में लाइट कुछ ज्यादा ही कटी थी, उस दिन मेरे घर में कोई नहीं
था, पापा मम्मी बुआ के घर गए थे क्यूँकि भाई की तबियत कुछ ज्यादा ही
ख़राब हो गई थी। मेरी तो लॉटरी लग गई थी, रात हुई खाना खाते समय ही लाइट
चली गई, सब लोग परेशान हो गए तो पूजा की मम्मी-पापा छत पर सोने चले गए और
जैसा हमने तय किया था, पूजा नहीं गई। रात तक़रीबन 12 बजे मैं चुपके से
पूजा के कमरे में चला आया।
आते ही मैंने उसे प्यार से उठा लिया और उसके नाज़ुक ओठों पर चुम्बन लिया।
मेरे ऐसा करते ही वो शरमा गई और उसने अपनी आँख़ें बंद कर ली। फिर मैंने
उसे प्यार से नीचे उतारा। गर्मी का समय था तो मैंने भी सिर्फ निक्कर और
बनियान पहना था और उसने सफ़ेद रंग की नाइटी पहन रखी थी, क्यूँकि उसने
पढ़ने का बहाना किया था तो पूजा ने एक मोमबत्ती जला रखी थी। चुम्बन के
बाद वो शरमा कर कुछ दूर चली गई, मैं भी आज पूरी तैयारी से आया था, मैं
उसके पास गया, उसने एक चेन पहनी थी, मैंने आराम से उस चेन को अपनी उंगली
से खींचा, वो लहराते हुए मेरी बाहों में आ गई। इस बार मैंने पूजा के पहले
आँखों पर किस किया फिर उसके नाक पर चूमा और फिर होटों पर किस किया। इस
बार किस इतनी असरदार थी कि वो कामुकता के सागर में गोते लगाने लगी। अब
बाज़ी मेरे हाथ में थी तो मैं भी आराम से पूजा को किस कर रहा था, क्यूँकि
पूजा के मम्मी-पापा के आने का डर भी नहीं था तो मैंने भी उसे आराम और
प्यार से किस करना चालू रखा। धीरे-धीरे मेरा भी लंड खड़ा होने लगा, मैं
अंडरवीयर नहीं पहने था तो लंड सीधे उसकी नाभि पर चुभने लगा। पूजा को भी
अजीब लग रहा था मगर मैंने किस करना चालू रखा। ओंठों से ओंठ, जीभ से जीभ
लड़ रहे थे, हम दोनों के शरीर में गर्मी में सिहरन सी होने लगी, अब मैं
अपना एक हाथ उसकी चूची पर ले गया और उसे बड़े प्यार से सहलाने लगा। वो भी
कामवासना में मेरा भरपूर साथ दे रही थी।
अब पूजा ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को ऊपर से पकड़ लिया और जोर से दबा
दिया जिससे मेरे मुँह से एक मीठी आह निकल गई। अब मैंने पूजा को बेड पर
लिटा दिया और उसके पैर से उसे किस करना शुरु कर दिया और साथ में उसकी
नाइटी को ऊपर उठाता गया। अब मैंने बड़े प्यार से उसकी नाइटी उतार दी
क्यूँकि ये सब नियोजित था तो किसी ने अंडरवीयर नहीं पहना था। अब पूजा
मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी थी और शर्म से एक हाथ से अपनी चूत और एक से
अपने चेहरे को छुपा लिया। फिर मैंने बड़े प्यार से उसे समझाया कि प्यार
में कोई शर्म नहीं होती और उसके हाथ हटा कर उसकी चूत को देखा। उसकी चूत
बिल्कुल गुलाबी रंग की थी और उस पे बाल नहीं थे तो चूत भी बिल्कुल मुलायम
थी। फिर मैंने बड़े ही प्यार से उसकी चूत को छुआ जिससे उसके नाज़ुक शरीर
में कर्रेंट सा दौड़ गया। अब मैंने बड़े ही प्यार से उसकी चूत पर एक किस
कर दिया जिससे वो कामवासना के गोते लगाने लगी। और उसके मुँह से आह-आह और
कामोत्तेजक आवाजें निकलने लगी जिससे मेरा मन और ज्यादा खुश हुआ।
मैंने धीरे-धीरे चूत पर किस करना चालू रखा। फिर मैंने पूजा से कहा- जान,
अब तुम अपनी चूत मेरे होटों पर रख दो। अब मैं पूजा की रसीली चूत के नीचे
था और बड़े ही प्यार से उसकी नाज़ुक चूत में अपनी जीभ को आराम से फिराता
रहा। वो भी बड़े आराम से मज़े ले रही थी। तक़रीबन दस मिनट तक चूसने के
बाद पूजा का शरीर अकड़ने लगा और मैंने अपने चेहरे के पास दबाव महसूस
किया।
तभी पूजा ने कहा- प्रिंस, मुझे कुछ हो रहा है।
मैं जानता था कि पूजा अब झरने वाली है, मैंने कहा- कोई बात नहीं !
और तभी पूजा का यौवन रस मेरा पूरे मुँह में चला गया जिसे मैंने पूरा का
पूरा गटक लिया और उसके मुँह से एक हल्की सी चीख निकली। जब मैंने पूजा की
चूत देखी तो गुलाबी चूत लाल हो गई और थोड़ी सूजन भी आ गई थी। उसके बाद
मैंने पूजा को बाहों में भर लिया और उसकी गर्दन और उसकी छोटी चूची पर किस
करना शुरु कर दिया। वो बिल्कुल वासना के वशीभूत हो गई। पर मेरा अभी उसको
चोदने का मन नहीं हो रहा था तो मैं अभी उसे और गरम करना चाहता था।
अब पूजा की नज़र मेरे पैंट पर गई तो उसने बड़े ही प्यार से मेरे लंड को
पकड़ा और अपनी तरफ हौले से खींचा। मैंने भी बड़े आराम से पूजा को अपने
लंड से खेलने दिया।
अब मैंने पूछा- जान, क्या अब तुम बाबा जी को देखना चाहोगी?
उसने हाँ में अपना सर हिलाया, मैंने पूजा का हाथ पकड़ कर अपने पैंट का
नाड़ा खोल दिया और उसके सामने 9 इंच का लंड लहराने लगा। मेरे लंड को देख
कर पूजा थोड़ा डर गई।
मैंने भी पूजा से पूछा- क्या तुम इसे सँभाल सकती हो?
तो उसने कहा- बिल्कुल जान !
इसी बात पर मैंने उसे गले से लगा कर एक फ्रेंच किस जड़ दी। धीरे-धीरे
पूजा ने मेरे लंड को सहलाना शुरु कर दिया।
मैंने पूजा के कान में कहा- जान, इसे चूस लो !
पहले तो उसने मना किया, मगर थोड़ा कहने के बाद मान गई, उसने बड़े प्यार
से मेरे सुपारे को किस किया और फिर अपने मुँह में लेकर उसने मेरे सुपारे
को जो सहलाया और हल्के से काटा कि मैं उस वक़्त को कभी भी नहीं भूल सकता।
तक़रीबन दस मिनट का चूसने के बाद मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी
जांघों पर अपना यौवन रस गिरा दिया। अब मैंने पूजा को नीचे से किस करना
शुरु कर दिया, उसके शरीर में कोई भी ऐसा हिस्सा न होगा जहाँ मैंने किस न
किया हो।
अब मैंने ढेर सारी वैसलीन निकाल कर उसकी कोमल चूत पर लगा दी, फिर बड़े
प्यार से उसकी चूत में उंगली करना शुरु कर दिया। अब वो पूरी तरह बेचैन हो
गई। फिर मैं उसकी चूचियों से खेलने लगा, तब पूजा ने कहा- अब प्रिंस, मुझे
उस यौवन यात्रा में ले चलो जहाँ उत्तेजना का अंत हो !
तब मैंने अपने लंड पर ढेर सारी वैसलीन लगाई और अपने सुपारे को पूजा की
चूत पर रगड़ने लगा जिससे उसके मुँह से आह-आह, शह्ह अह अह्ह्ह अह्ह्ह हे
माँ ! मैं तो आज मर जाऊँगी और भी कामोत्तेजक आवाज़ें निकलने लगी।
मैंने बड़े आराम से पूजा को चोदना शुरु किया। अगर कोई शोर होता तो खेल
बिगड़ जाता, वैसे भी मुझे उसकी नाज़ुक चूत को भी बचाना था।
मैंने बड़े प्यार से सुपारे को पूजा की चूत में हल्के से धंसाया और उसके
मुंह से आह, आह शह्ह उफ्फ्फ्फ़ निकली और उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
मैंने फिर कोशिश की और थोड़ा जोर से सुपारे को अन्दर डाला। सुपारा चूत को
फाड़ते हुए थोड़ा अन्दर चला गया। पूजा ने तो दर्द के मारे बेडशीट को जोर
से मुट्ठी में भींच लिया।
मैं फिर कुछ देर के लिए रुका पर पूजा की चूची को पीना नहीं छोड़ा। फिर
मैंने एक मिनट में धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरु कर दिया और हौले-हौले लंड
को अन्दर डालता रहा। बीच-बीच में पूजा की कमर और शरीर के सभी हिस्सों को
छूना और किस करना जारी रखा। तक़रीबन बीस मिनट में मैंने पूजा की कुंवारी
चूत में अपना लंड गाड़ दिया और पूजा को अपनी तरफ से दर्द काफी कम दिया
मगर उसकी सील टूटने की वजह से उसे ब्लीडिंग काफी हुई। मैंने फिर आराम से
धक्के लगाना शुरु किया तो पूजा ने कहा- प्रिंस, आराम से ! दर्द ज्यादा हो
रहा है ! फिर मैंने बहुत हौले-हौले धक्के लगाये तक़रीबन 40 मिनट में जब
पूजा का दर्द उत्तेजना में बदला तो जान में जान आई और मेरे धक्कों में
रफ़्तार ! पूजा के और मेरे मुँह से कामवासना की वो आहें निकल रही थी जो
बयान करने लायक नहीं थी वो सिर्फ वही जोड़ा महसूस करता है जो अन्तर्वासना
में लिप्त हो। खैर अब मेरी रफ़्तार बढ़ गई, अब मैंने पूजा से कहा- जानू,
तुम मेरे लंड के ऊपर बैठ जाओ। पूजा ने लंड अपनी चूत से निकाला तो मेरे
लंड पर ढेर सारा खून लगा था, जिसे देख पूजा डर गई पर मैंने उसे प्यार से
समझाया कि पहली बार में थोड़ी ब्लीडिंग और दर्द होता है, मगर अब ऐसा नहीं
होगा।
फिर मैंने लंड पे ढेर सारा थूक लगा कर उसको गीला कर दिया। फिर पूजा ने
लंड को पकड़ के अपनी चूत पर रखा तो गीला लंड आराम से उसकी चूत में समाहित
होने लगा और हम प्रेमी युगल कामलीला में फिर खो गए। जैसे ही पूजा ने मेरा
लंड चूत में लिया, लंड सरसराता हुआ उसकी बच्चेदानी के पास पहुँच गया मगर
मेरा लंड अभी भी बाहर था। फिर भी मैंने धक्के लगाना जारी रखा। बीच-बीच
में पूजा की छोटी-छोटी चूचियों को मसलता रहता था, इसी बीच पूजा झर गई अब
उसका मेरे लंड को संभालना मुश्किल हो गया तो मैंने पूजा को नीचे लेटा कर
उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया मगर इस बार मैं थोड़ा जल्दी में तेज झटके
देने लगा जिससे पूजा ने फ़िर कहा- प्रिंस आराम से ! दर्द हो रहा है। मैं
फिर सम्भला और आराम से धक्के लगाने लगा। हम लोग इसी अवस्था में प्रेमलीला
में लिप्त रहे और धीरे-धीरे धक्के लगते रहे। सारे कमरे में उत्तेजनापूर्ण
वातावरण हो गया। हम प्रेमी युगल धीरे धीरे उत्तेजना के चरम पर पहुँच रहे
थे और पूजा की चूत भी मज़ा देने लगी थी।
कुछ ही देर में पूजा ने कहा- प्रिंस, मैं झरने वाली हूँ।
और कुछ की धक्कों में वो झर गई और दर्द के मारे पूजा ने कहा- प्रिंस, अब
और मत चोदो !
लेकिन मेरा हुआ ही नहीं था मगर उसकी आंखों से निकलते आँसुओं को देख मैंने
हौले से अपना लंड निकाल कर पूजा के मुँह में डाल दिया जिसे वो मज़े से
चूस रही थी।
अब मेरी बारी थी, मुझे कुछ समझ में आता कि उससे पहले ही पूजा ने इशारे से
अपने मुँह में ही गिराने को कहा। मैंने भी वैसा ही किया, पूरा का पूरा रस
पूजा के मुँह में गिरा दिया। उसने भी सारा का सारा रस पी लिया, मैंने
लण्ड हटा कर उसका चेहरा साफ़ किया और हम फिर से किस करने लगे। लेकिन जब
मैंने पूजा की चूत देखी तो डर गया क्यूँकि वो सूजी हुई थी, उसमें से ढेर
सारा खून निकल रहा था और पूजा को भी मीठा मीठा दर्द हो रहा था।
मैंने तुरंत कपड़े से उसकी चूत को साफ़ किया, एक पेनकिलर दी और मैं चुपके
से ऊपर आ गया। मगर अब पूजा एक फूल हो गई है और मैं उसकी जवानी पर बल खाता
भँवरा !