Shobhana ki Saheli

पहले आप लोगों ने मेरी शोभना की चुदाई की दास्तान पढ़ी होगी, ये कहानी है उसकी सहेली सपना  की चुदाई की है. एक दिन जब मैं बाज़ार से सब्जियां खरीद रहा था तो मुझे शोभना मिली, उसके साथ एक और लड़की थी, गोरी चिट्टी, एकदम चुदास से भरी हुई, एकदम कड़ी कड़ी नारंगी की जैसी चूचियां. शोभना से बात करते समय मैं उसे ही घूर रहा था. शोभना मेरा इरादा भांप गयी और मुश्कुराने लगी. उसने बताया की वो उसकी सहेली है और उसका नाम सपना है. सपना उसके पड़ोस में रहती थी , २ महीने बाद उसकी शादी होने वाली थी. जब मैं घर वापस आया तो शोभना का फ़ोन आया. उसने पूछा " क्या बात है साहब, आप मेरी सहेली को बड़े लालच भरी नज़रो से देख रहे थे, उसे चोदना है क्या" मैंने बोला " शोभना डार्लिंग, एक बार अपनी सहेली की बूर दिलवा दे, तू जो बोलेगी वो दूंगा" शोभना बोली " साहब अभी वो कच्ची कलि है, उसे चोदना बहुत मुश्किल है, फिर भी आपके लिए मैं उसे पटा लुंगी, आप अपने लंड पे तेल लगा के रखो, मैं कोई उपाय निकलती हूँ."
अगले दिन दोपहर को शोभना मेरे घर पे आयी, उसके साथ सपना भी थी, उसे देख कर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया, मुझे समझ आ गया की, शोभना ने उसे पटा लिया है, और आज उसे चोदने को मिलेगा. 
मैं बिअर पी रहा था, शोभना भी अपने लिए फ्रिज से एक बिअर ले कर आयी और सपना के लिए थम्स अप लाई. दोनों मेरे सामने की सोफा पे बैठ गए. थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने के बाद शोभना सीधे मेरी गोद में बैठ गयी और मुझे किस्स करने लगी. मैं भी उसके होठों को चूसने लगा और उसकी चुचियों को मसलने लगा. ये सब देख कर सपना शर्मा गयी. श्भाना उस से बोली " अरे शर्माती क्यूँ है, २ महीने बाद तेरा पति भी तो तुझे ऐसे ही चूसेगा, और तेरी बूर चोद चोद के मज़ा देगा" शोभना की इतनी गन्दी बात सुन कर सपना का चेहरा एकदम लाल हो गया. 
शोभना मेरी गोद से उठ कर उसके पास जा कर बैठ गयी और एक झटके के साथ उसका दुप्पटा हटा दिया. उसकी चुचियों को कमीज़ के ऊपर से दबाती हुई बोली" देखो साहब, इसकी चूचियां कितनी मस्त है, एकदम कोरी और अनछुई है, एकदम बेवक़ूफ़ है ये, अभी तक ज़वानी का मजा नहीं लिया है इसने." सपना का चेहरा लाल था और उसकी आँखों में सुर्खियाँ दिख रही थी, शायद चूची दबाने के कारण उसे मज़ा आने लगा था. शोभना ने मुझे इशारा किया और मैं भी सपना के बगल में जा बैठा, दोनों हाथों से उसकी चुचियों को धीरे धीरे मसलने लगा. सपना घबरा गयी. शोभना ने उसे संभाला,' अरे क्या कर रही है, एक बार साहब से अपनी बूर का उदघाटन करवा ले, ज़वानी का मज़ा आ जायेगा ". शोभना जान बूझ कर गन्दी बात कर रही थी ताकि सपना भी मस्त हो जाये. मैं बड़े प्यार से उसकी चुचियों से खेल रहा था, सपना मना तो कर रही थी पर ज्यादा जोर नहीं लगा रही थी, शायद उसे भी एक बार चुदवाने का मन था. फिर शोभना ने उसकी कमीज़ को उतर दिया. अब सपना सलवार और ब्रा में बैठी थी, उसने अपनी आंखे बंद कर रखी थी, थोड़ी शर्म और थोड़े मज़ा से. गुलाबी रंग की ब्रा में उसकी गोरी चूचियां कमाल की लग रही थी, जैसे ही मैंने उसकी ब्रा का हूक खोल कर अलग किया, उसकी चूचियां आज़ाद पंछी की तरह फद्फड़ाने लगी, जैसे पहाड़  की चोटियाँ खड़ी हो. उसके निप्पलस अभी काले नहीं हुए थे, एकदम गुलाबी गुलाबी. मैंने उसकी चुचियों को चुसना चालू किया, इसके साथ ही उसके मुह से सिस्कारियों का तूफान खड़ा हो गया.. सपना सी सी सी ...... आह आह्ह,,,,, उम्म्म,,,, म्मम्म... कर के मज़े ले रही थी. मैंने और शोभना ने मिल कर उसे बेडरूम में ले गए. शोभना के कहने पे मैंने अपने सरे कपडे उतर दिए. और फिर शोभना ने सपना की सलवार उतर फेंकी. अब मेरे लंड और सपना की बूर एक बिच में सिर्फ एक सूती चड्डी की दूरी थी. मैंने सपना के पूरे बदन पे चूमना चाटना चालू किया,.हर चुम्मे के साथ सपना की सिस्कारियां बढ़ती चली जा रही थी. 
 शोभना ने मुझे बोला," साहब ज्यादा समय बर्बाद ना करो, इसकी चड्डी खोलो और अपना लंड इसकी बूर में पेल दो. मैं इसको पकड़ के रखती हूँ ताकि ये चिल्लाये ना" मैंने सपना की  चड्डी खोल दी, उसकी गुलाबी बूर देख कर मैं दांग रह गया, एकदम चिकनी, एक भी बाल नहीं थे, एकदम गुलाब का ताज़ा फूल लग रही थी, गोरी, रसीली बूर देख कर मेरा लंड एक दम फौलाद की तरह हो गया. मैंने अपने होठ उसकी बूर पे लगा दिए और चाटने लगा. सपना पानी से बहार आयी हुई मछली की तरह तड़पने लगी. उसकी बूर एकदम गीली हो रही थी और मैं उसकी जवानी के रस को चाट रहा था.. फिर मैंने अपने लंड पे ढेर सारा तेल लगाया और थोडा तेल सपना की बूर पे भी लगा दिया. सपना अपनी आँखे बंद किये हुए सिसकियाँ ले रही थी... मैंने उसकी दोनों टांगो को फैलाया और उसके बूर के मुह में अपने लंड का सुपाडा फस दिया., उसकी बूर एकदम भट्टी की तरह गरम हो रही थी,  शोभना ने उसके दोनों हाथो को पकड़ रखा था, शोभना का इशारा पते ही मैंने पूरे ताकत से अपना लंड उसकी कुंवारी बूर में पेल दिया.. सपना एकदम से चिल्ला उठी.. " बाप रे बाप... मर गयी माँ...छोडो मुझे ... फट गयी मेरी बूर..उई माँ........."
मैंने उसके मुँह को बंद किया और उसकी चूचियां मसलने लगा.. सपना रोने लगी थी,, दर्द से उसका बूर हाल था.. उसकी बूर से खून निकलने लगा था.. अब वो कुंवारी नहीं रही थी,, थोड़ी देर बाद उसका दर्द थोडा कम हुआ तो वो हलकी सी मुश्कुरायी.. मैं समझ गया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.. हर धक्के के साथ मेरा लंड उसकी बूर में और अन्दर तक जा रहा था.. सपना की मादकता भरी सिस्कारियों से पूरा कमरा गूँज रहा था.. आःह्ह्ह.. क्या मज़ा आ रहा है... सी सी..... आह्ह्ह्ह.. उम्म्म्म.....'
धीरे धीरे वो भी मेरे धक्को के साथ अपना गांड उछालने लगी, ' चोदो  साहब चोदो...एकदम अन्दर तक डाल दो अपना लंड... बड़ा मज़ा आ रहा है... उफ्फ्फ... क्या मस्ती है...एकदम स्वर्ग में उड़ रही हूँ मैं.. और जोर से पेलो..."

सपना की मस्ती भरी बातें सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया...मैं और जोर से धक्के लगाने लगा.. " साली रंडी... आज तेरी कुंवारी बूर का मैं भर्ता बना दूंगा,, तुझे चोद चोद कर एकदम रांड बना दूंगा,, उछाल अपना गांड.. और अन्दर ले मेरा लंड... क्या बूर है तेरी.. एकदम मक्खन की तरह...तेरी बूर चोदने का तो मज़ा कहीं और नहीं है... "

करीब आधे घंटे तक मैं उसकी बूर चोदता रहा,, सपना भी पुरे मस्ती में थी... वो पुरे जोश से मेरा साथ दे रही थी... फिर मुझे लगा की अब मैं झड़ जाऊंगा,, मैंने अपना लंड बहार निकला और सपना की पेट के ऊपर सारा माल झाड़ दिया... सपना एकदम बेहाल हो गयी थी,, पहली चुदाई की थकन से उसका बूरा हाल था,,