रीना की कमसिन बूर

गर्मी का मौसम था और ऑफिस की रविवार का बोरिंग दिन था.. शोभना (मेरी नौकरानी) २- ३ दिनों से छुट्टी पे थी, शायद वो कही बाहर गयी थी. मैं अपने घर  पे ही बैठ कर बिअर पी रहा था. हफ्ते भर से कोई बूर नहीं चोदी थी इसलिए मेरे लंड में खुजली मच रही थी. बिअर पीते हुए ब्लू फिल्म देख रहा था.. तभी दरवाजे पे दस्तक हुई.. मैंने सोचा अभी कौन आ गया डिस्टर्ब करने को... दरवाज़ा खोला तो देखा सामने वाले फ्लैट में काम करने वाली नौकरानी रीना  थी.. मैंने कई बार उसे देखा था पर ध्यान नहीं दिया था. सामने वाले फ्लेट में रहने वाले लोग कहीं बाहर गए थे और चाबी मुझे दे गए थे,, ताकि जब उनकी नौकरानी आये तो वो साफ़ सफाई कर सके.. 
रीना मुझे देख कर हलकी सी मुस्कुराई और फिर मुझसे फ्लैट की चाबी मांगी.. मैंने चाबी दे दी पर उसे घूरता रहा.. कुछ तो बिअर और कुछ ब्लू फिल्म का असर था की मेरा लंड खड़ा हो रहा था.. रीना वैसे तो देखने में ज्यादा सुन्दर नहीं थी.. सावंला रंग था पर बदन एकदम कसा हुआ था.. गोल गोल कड़ी कड़ी चूचियां,, मस्त गांड .. एकदम माल लग रही थी वो.. चुदाने के लिए एकदम तैयार..
वो अपना काम कर रही थी और मैं दरवाज़े पे खड़ा हो कर उसे देख रहा था .. वो भी मुझे देख देख कर मुश्कुरा रही थी.. थोड़ी देर बाद जब उसका काम ख़तम हो गया तो वो मुझे चाबी देती हुई बोली.." साहब.. आपका कुछ काम है तो बोलो.. मैं कर दूंगी.." उसके बोलने का अंदाज़ ऐसा था की मुझे कागा शायद चोदने का मौका मिल जायेगा.. मैंने एक हाथ अपने पैंट पे लंड के ऊपर रखा और बोला " कितना लेगी काम करने का.." रीना हंसते हुए बोली.." आपसे पैसे क्या लेना साहब.. जो मन में आये दे देना.." मैं समझ गया की लौंडिया तैयार ही.. अगर थोड़ी मेहनत करूँ तो चुदाई का मज़ा मिल जायेगा...
मैंने उसे अन्दर बुला लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया.. वो बिअर देख कर बोली.. " साहब दिन में ही पी रहे हो.. वो भी अकेले..." मैंने पूछा.. " तू भी पीयेगी क्या ? " रीना ने मन कर दिया और घर में झाड़ू लगाने लगी.. मैं उसकी चुचियों को घुर रहा था.. वो भी बार बार मुश्कुरा रही थी.. मैंने चड्डी नहीं पहनी थी, और पैंट के अन्दर मेरा लंड खड़ा हो चूका था.. जो ऊपर से साफ़ समझ में आ रहा था..
१० मिनट बाद जब रीना ने फिर पूछा... " साहब और कोई काम है,, या मैं जाऊं." मैंने बोला.. " काम तो है रीना.. पर तू करने देगी क्या.." रीना समझ गयी.. " उसका पैसा लगेगा साहब.. " मैं झट उसे अपनी बाँहों में दबोच लिया और बोला..." डार्लिंग पैसा तो दे दूंगा.. बस मज़ा चखा दे अपनी बूर का.." रीना झूठ मुठ का  शरमाते हुए बोली.." हठो.. आप कैसी गन्दी बात करते हो" .
मैं कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चुचियों को मसलने लगा और वो आह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह म्मम्मम्म कर के सिस्कारियां लेने लगी.. 
फिर मैंने उसकी कमीज़ उतार दी.. अन्दर एक सस्ती सी ब्रा थी.. जो उसकी चुचियों के लिए बहुत छोटी थी.. उसकी चुचिया एकदम से बाहर आने को बेताब थी.. मैंने एक झटके के साथ उसका ब्रा तोड़ दिया और उसकी चुचियों का आज़ाद कर दिया.  रीना बोली " क्या साहब आपने मेरा ब्रा तोड़ दिया.. अब मैं क्या पहनूंगी.. " मैं बोला.. " रानी.. परेशान मत हो.. तुझे १० ब्रा ला दूंगा.." 
फिर मैंने उसकी चुचियों को पाने मुह में भर लिया और उसके निप्पलस को चूसने लगा. रीना की मुह से निकलती सिस्कारिया मेरा जोश और बढ़ा रही थी. मैंने रीना को सोफे पे लिटा दिया और फिर अपने सरे कपडे निकल कर नंगा हो गया. मेरा मोटा लंड देख कर वो दंग रह गयी. बोली " वाह साहब आपका तो जबरदस्त लंड है.. बहुत मज़ा आएगा आपसे चुदवा के" मैं बोला  " देख ले रानी.. आज तो तेरी बूर का भोसड़ा बन दूंगा,, जब मेरा लंड तेरी बूर को फाडेगा तो चिल्लाना मत." फिर मैंने रीना की सलवार को उतार दिया. उसने चड्डी नहीं पहनी थी..मेरे सामने उसकी चिकनी बूर.. एकदम गुलाबी.. बिना झांटो वाली. .. एकदम मक्खन की तरह चिकनी थी.. मैंने जब उसकी बूर पे हाथ फेरा तो पटा चला की वो एकदम से गीली थी.. चुदास से भरपूर और एकदम चुदाने को तैयार.. मैंने रीना की दोनों टंगे फैलाई और उसकी बूर को चटाने लगा.. रीना एकदम बिना पानी की मछली की तरह तड़प उठी..उसकी बूर का रस नमकीन था.. और मादक खुसबू थी... मैं १० मिनट तक उसकी बूर को चाटता रहा.. रीना की सिस्कारियां तेज़ हो रही थी.. और वो अपने हाथ से मेरा सर अपनी बूर पे दबा रही थी.." आह्ह्हह्ह उम्म्म्म.. उई माँ...बहुत मज़ा आ रहा है जानू.. और चाटो.. मेरी बूर को चाट चाट कर मेरा पानी निकल दो.. बहुत अच्छे तरह से चाट रहे हो...सी सिसस्स्स्स.. " रीना की बातें मेरे लंड को और जोश दिला रही थी.. " बहुत हुआ साहब .. अब बर्दास्त नहीं होता.. अपना लंड पेल दो मेरी बूर में... छोड़ो मुझे. मेरी बूर की खुजली शांत करो.." 

मैंने उसकी दोनों टांगो को थोडा और फैलाया और अपने लंड को उसके बूर के मुह पे रख दिया.. फिर एक जोर के झटके के साथ मेरा लंड उसकी गीली बूर को चीरता हुआ पूरा अन्दर घुस गया... रीना के मुह से आह निकल गयी... रीना चुदी चुदाई लौंडिया थी, फिर भी मेरा लंड एकदम कसा हुआ था उसकी बूर में... उसकी बूर एकदम भट्टी की तरह गरम थी.. फिर मैंने धक्के लगाने सुरु किये.. मेरे हर धक्के के साथ रीना की सिस्कारियां बढाती जा रही थी.. " सी सी सिस इस....क्या लंड है तुम्हारा.. एकदम पहली चुदाई का मज़ा आ रहा है.. और पेलो मेरे राजा.. और अन्दर डाल दो.. म्मम्मम आह्ह्हह्ह चोदो.. और जोर से चोदो..." रीना की सिस्कारियों से मुझे और मज़ा आ रहा था .. मैं भी पुरे जोश के साथ उसे चोदने लगा.. जोरदार धक्को के करना मेरा लंड उसकी गर्भास्य को छू रहा था. मैं चोदने के साथ साथ.. उसकी चुचियों को मसल रहा था.. मेरे मज़ा और भी दुगना हो रहा था.. रीना भी अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदवा रही थी.. पक्की रंडी लग रही थी वोह.. १५ मिनट की घमासान चुदाई के बाद वो जहदने लगी.. उसने अपनी बाँहों में मुझे दबोच लिया और अपनी बूर को मेरे लंड पे एकदम कास कर दबा लिया.. एक जबरदस्त सिहरन के बाद वोह झड़ गयी.. रीना एकदम पसीने से भीगी हुई थी.. पर मेरे तो लंड अभी भी खड़ा था.. मैं फिर धक्के मारने लगा.. २०- २५ धक्को के बाद मुझे लगा की मैं भी झाड़ने वाला हूँ तो मैं अपना लंड उसकी बूर से बहार निकल लिया.. क्यूंकि बिना कंडोम के चुदाई चल रही थी.. फिर मैंने अपने लंड रीना की मुह में घुसेड दिया.. रीना समझ गयी और मेरा लंड चूसने लगी.. मैं दो मिनट में ही झड़ गया और सारा वीर्य उसकी मुह में उड़ेल दिया.. रीना थोड़ी आना कानी के बाद मेरा सारा वीर्य चाट गयी... और मैं निढाल हो कर उसकी चुचियों पे मुह रख कर लेट गया .. रीना ने मुझे अपने बदन से चिपका लिया और बोली.. " साहब .. तुमसे चुदवा कर तो मज़ा आ गया.. आजतक ऐसी चुदाई नहीं हुई मेरी,  ऐसा लग रहा था जैसे पहली बार चुद रही हूँ.." 

फिर रीना ने हाथ मुह धोया और अपने कपडे पहनने लगी.. मैंने ५०० रुपये का नोट उसकी कमीज़ में घुसेड दिया.. रीना बोली.." ऐसी चुदाई होने का बाद मुझे पैसे तो नहीं चाहिए साहब.. बस कभी कभी मुझे भी चोदते रहना. फिर उसने मुझे एक जोरदार चुम्मा दिया और चली गयी..