raushani ki chudai

मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने गाँव गया था. मेरा गाँव सदा से काफी दूर है और अभी भी वहां आधुनिक सुविधाओं का आभाव है. 
मुझे गाँव की सबसे अछि बात लगती है वहां की औरतों का गठीला बदन. मेरे दादा जी की बहुत जमीन थी, खेतों में काम करने वाली औरतों को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. वैसे वोह औरतें ज्यादा गोरी तो नहीं होती थी पर उनकी चूचियां और गांड इतने मस्त होते थे की पूछो मत. गरीब होने के कारण वोह ब्रा नहीं पहनती थी, और जब वोह काम करती थी तो उनकी बड़ी बड़ी चूचियां खूब हिलती थी. वहां पे कुछ लड़कियां भी काम करती थी जो बहुत ही सेक्सी थी. मैं हमेशा उन्हें चोदने के फ़िराक में लगा रहता था. 

एक रोज़ मैं दोपहर के समय खेतों में घूमता हुआ काफी दूर निकल आया था. वैसे उस समय खेतों में कोई होता नहीं था, गरमी की वजह से सब आराम कर रहे होते थे. मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं घुमने निकल गया था. चलते चलते मैं tube well  के पास पहुच गया जो की बाकि खेतों से काफी दूर था. मैं जब tube well से थोड़ी दूर था तो देखा की कोई लड़की तुबेवेल्ल के पास खड़ी थी. मैं जल्दी से पेड़ों की पीछे छुप गया और उसे देखने लगा. वो हमारे खेतों में काम करने वाली औरत थी, उसका नाम रौशनी था. उसकी उम्र ३०-३२ की होगी. बड़ी ही सेक्सी औरत थी. सावली रंग की थी पर शारीर एकदम झकास था. उसकी चुचिया ३४ की होगी. एकदम कसी हुई ब्लाउज पहनती थी जिसमे उसकी चूचियां समाती नहीं थी, उसके गांड  पे पूरा गाँव पागल था. मैं कई बार सपने में उसकी चुदाई की होगी.

रौशनी ने अपना हाथ मुह धोया और फिर इधर उधर देखने लगी. वो वहां नहाने आयी थी, उसे पता था की दोपहर के समय गाँव का कोई भी आदमी इधर नहीं आता है इसलिए वो आराम से नहा सकती थी. उसने अपनी साडी को खोल दिया. उसने कलि पेटीकोट और काले रंग की ब्लाउज पहन राखी थी, ब्लाउज में से उसकी चूचियां बहार छलक रही थी. शायद वो पुरे कपडे निकल कर नहाना चाहती थी क्यूंकि वो कपडे लेकर नहीं आयी थी, जब उसने अपना ब्लौज़ा खोला तो मेरा लंड खड़ा हो गया. उसकी चूचियां एकदम कसी  हुई थी जैसे किसी कुंवारी लौंडिया की हो. उसके बड़े बड़े काले रंग के निप्पलस एकदम सीधे खड़े थे जैसे मुझे बुला रहे हो की आओ मुझे चुसो. मेरा लंड खड़ा था और मैनें सोच लिया था की आज तो इसको चोदुंगा जरूर. फिर रौशनी ने अपने पेटीकोट का नाडा खोला और धीरे से उसे अलग कर दिया. क्या मदमस्त जवानी थी साली की. एकदम गरम और चोदने लायक. अन्दर उसने काले रंग का सूती कच्छी  पहन रही थी जो उसके बड़े बड़ी चुतरों पे पूरी नहीं हो रही थी. मेरा मन कर रहा था की अभी उसको पटक कर चोद दूं. पर मैं इंतज़ार करना ही ठीक समझा, वोह अपने बदन पे पानी डालने लगी.  और अपने चुचियों को मसल मसल कर धोने लगी. उसकी चूचियां ऐसे हो रही थी मानो दो पपीते हो जो एकदम सीधे खड़े थे. 

अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था, मेरा लंड एकदम खड़ा था और मैं उसे चोदने के लिए बेताब हो रहा था. मैं धीरे से उसके पीछे गया और उसे पकड़ लिया. मेरे दोनों हाथों में उसकी चूचियां थी और मेरा लंड उसके गांड पे रगड़ रहा था. वो घबरा गयी और मुड कर पीछे देखा. मुझे देकहते ही बोली," साहब आप ये क्या कर रहे हो, छोडो मुझे". मैंने बोला- "रौशनी डार्लिंग, आज मैं तुम्हे चोदना चाहता हूँ. मुझे मना मत करना. एक बार मुझे अपना बुर चोदने दे". रौशनी बोली- " नहीं साहब मैं ऐसी औरत नहीं हूँ, मैं शादी शुदा हूँ. मुझे छोड़ दो". मैं उसकी चुचियों को और दबाया , वो सिसक उठी. वो मुझे मना तो कर रही थी पर छुड़ाने की ज्यादा कोशिश नहीं कर रही थी. मैं समझ गया की अगर मैं थोडा और कोशिश करू तो ये मुझे चोदने देगी. मैं उसकी चुचियों को दबाते हुए बोला- " जानेमन, एकबार अपने बुर का मज़ा दे दे. तू जो बोलोगेई मैं तुझे दूंगा. बस एक बार मुझे चोदने दे." मेरी ये बात सुनकर वो शायद लालच में आ गई. उसे लगा की एक बार चुदाने में क्या हर्ज़ है, मज़ा आएगा और पैसे भी मिलेंगे. फिर भी वो बोली- " नहीं साहब, मैं पैसे के लिए नहीं चुदाती, मेरे पति को पता चला तो वो मुझे मार डालेगा" मैंने बोला- "डार्लिंग, तेरे पति को कौन बताएगा, यहाँ तो कोई है भी नहीं, बस एक बार चोदने दे, मैं तुझे १०० रुपये दूंगा. " पर वो नहीं मणि, न नुकुर करती रही, मैं फिर भी उसे जबरदस्ती पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया, दोनों हाथों से उसकी चुचियों को दबाने लगा और बोला -" देख रौशनी, अगर तुने मुझे नहीं चोदने दिया तो मैं तुझे बदनाम कर दूंगा, अच्छा यही है की मेरा साथ मजे कर और तू जितना बोलेगी उतना दूंगा". रौशनी की आँखे बता रही थी की उसे मज़ा आ रहा था. वो बोली- " साहब, किसी को पता तो नहीं चलेगा न" मैं बोला - " किसी को नहीं डार्लिंग, और मैं तुझे ५०० रुपये दूंगा". ५०० रुपये सुनकर वोह मुस्कुरा दी. मैं समझ गया की आप ये चुदवाने को तैयार है. मैंने उसके होठों को चुसना शुरू कर दिया. उसके रसीले होठों में क्या मज़ा था, किसी कुंवारी लौंडिया के साथ भी इतना मज़ा नहीं आता. वो भी पुरे जोश से मेरा साथ देने लगी. मेरे होठों पे अपने होठ रख कर चूसने लगी. फिर मैं उसकी चूची को अपने मुह में भर लिया और उसे चूसने लगा. वो आँखे बंद कर के सिसकने लगी-" आआआआआआ......ह्ह्ह्हहह साहब... कितना मजा आ रहा है, और चुसो, मेरी चुचियों को चूस चूस के सारा दूध निकल दो." मैं बोला- " रौशनी डार्लिंग, तुम्हारी चूचियां कितनी रशिली है, तुम्हारे निप्पलस को चूसने में बड़ा मजा आ रहा है". मैं १५ मिनट थक बारी बारी से उसकी चुचियों को चूसता काटता रहा. फिर मैंने अपना ध्यान उसकी बुर की तरफ लगे. उसकी कच्छी को एक झटके के साथ अलग कर दिया. अन्दर उसकी फूली हुई पावरोटी जैसे बुर देख कर मैं पागल हो गया. एकदम चिकनी बुर थी उसकी, एक बाल नहीं थे, शायद कुछ दिन पहले ही साफ़ किया था. मैं उसकी बुर पे टूट पड़ा. उसे चूमने लगा और रौशनी पागलों की तरह सिसकने लगी.  " इस स स स स स स... मार डाला रे... क्या आग लगा दी तुने.. मेरी बूर तो एकदम से गरम हो गयी, और चुसो मेरे राजा . अन्दर तक चाटो.. मेरी बुर का सारा रस पी जाओ"
मैंने अपना पजामा और चड्ढी खोल दिया, मेरा 9 इंच का लंड एकदम खड़ा था. रौशनी मेरा लंड देखकर बोली:" हाय राजा. तुम्हारा लंड तो एकदम बड़ा और मोटा है.. इतने मोटे लंड से चुदाने में बड़ा मजा आएगा." मैंने उसे लंड चूसने के लिए कहा. वो तुरंत उठकर बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी. मुझे बड़ा मजा आरहा था, उसके मुह में मेरा लंड एकदम टाइट था और वो एक बच्चे की तरह लोलीपोप चूस रही थी. मैं उसकी चूचियां दबा रहा था. फिर मैं उसे ६९ की मुद्रा में आने को कहा और उसकी बूर चटाने लगा. वोह मेरे लंड चूस रही थी. उसकी गुलाबी बूर एकदम गीली हो रही थी. उसकी बूर  का नमकीन पानी मुझे जन्नत का मजा दे रहा था. वो पुरे मन से मेरा लंड चूस रही थी. वोह एदुम से चुदासी हुई जा रही थी और मस्ती से सिसकर रही थी, थोड़े देर बाद उसने मेरा लंड मुह से निकल दिया और बोली.. " मेरे रजा , अब मुझे नहीं रहा जा रहा , मेरी बूर एकदम गरम हो रही है, ज़ल्दी से मुझे छोड़ो और इसकी गर्मी शांत कर दो. अपने बड़ा सा लौंडा मेरी बूर में पेल दो और मेरी बूर को पहाड़ दो. आओ मेरे रजा मेरी बूर चोदो."

मैं उसे पीठ के बल लिटा दिया और उसकी टांगो को चौड़ा किया, वोह अपनी गुलाबी बूर को फैला कर मुझे चोदने के लिए कह रही थी. मैं उसकी  टांगो के बिच में बैठ गया और उसकी गुलाबी बूर के छेड़ में थोडा सा ठुक लगाया. फिर अपने लैंड के सुपारे को उसकी बूर की मुह पे रख के रगदने लगा. उसकी बूर एकदम भट्टी की तरह गरम थी. मैंने धीरे से उसकी बूर में अपना लंड घुसना चाह पर वोह नहीं घुस प् रहा था, शायद उसकी बूर की चीड मेरे लंड के लिए छोटी थी. फिर मैंने एक जोर का धक्का मारा और आधा लंड उसकी बूर में पेल दिया. वो एकदम से चिल्ला पड़ी.. "हाए ये क्या डाल  दिया, कितना मोटा है तुम्हारा लंड. मेरी बूर सच्ची में फाड़ दी तुने.." मैंने बोला-"साली चिल्ला मत. अभी तो आधा लंड बाकि है.. आज तेरी बूर फट भी गयी तो भी मैं तुम्हे पूरा चोदे बगैर नहीं रहूँगा. " मैंने उसकी चुचियों को पकड़ कर दबाने लगा तो उसे फिर मजा आने लगा, वो जोश में आ गए और बोली- " डाल दे रजा, अपना पूरा लंड मेरी बूर में डाल दे. इतने बड़े लंड से चुदाने का मौका कौन छोड़ेगा भला. " मैंने एक और जोर का धक्का मारा और पूरा लंड उसकी बूर में पेल दिया. फिर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. मेरा लंड उसकी बूर में एकदम टा इ ट जा रहा था. मैंने साथ में उसकी चुचियों को भी दबाने लगा. धीरे धीरे रौशनी को भी मजा आने लगा और वो मेरा साथ देने लगी. अपनी चुत्तरों को मेरे धक्के के साथ हिलाने लगी.. मैंने चुदाई की स्पीड बाधा दी. वोह पुरे मजे में थी, उसकी बूर चोदने का जबरदस्त मजा आ रहा था.. वो बोली" चोदो मेरे राजा,,, चोदो.. और जोर से चोदो.. फाड़ दो मेरी बूर को.. क्या जबरदस्त लंड है तुम्हारा.. और जोर से चोदो.. एकदम अन्दर तक पेल दो अपना लंड.." उसकी सेक्सी बातें सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया और मैं पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा. उसकी बूर से फच फच की आवाज़ निकल रही थी और पूरा माहौल गरम हो गया था, उसकी बूर से निकलती आवाज मेरा जोस और  बढ़ा  रहा था.  " 

मैं - "अरे साली रंडी .. क्या बूर अप्यी है तुने, तुझे चोदने में तो इतना मज़ा आ रहा है की कुंवारी लड़की की बूर में भी इतना मजा नहीं होगा, साली तुझे चोद चोद के तेरी बूर का भोसडा  बना दूंगा,. हिला अपनी गांड कओ और मेरे लंड को और अन्दर ले " 

रौशनी- " रजा, क्या लंड है तेरा, मेरी तो ज़िन्दगी बन गयी तुमसे चुदा के, और अन्दर तक पेल दो रजा,, मेरी बूर तो सिर्फ तुम्हारे लंड के लिए ही बनी है, खूब जोर से चोदो ... फाड़ दो मेरी बूर को"

करीब आधे घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद मुझे लगा की आब मैं झड जाऊंगा. मैंने अपना लंड उसकी बूर से निकाल लिया और उसकी मुह में दे दिया. मैं उसकी मुह में ही झड गया. वो मुस्कुराते हुए मेरा सारा रस पी गयी. फिर उसने चाट चाट के मेरा लंड साफ़ किया . 

फिर हम दोद्नो ने अपने कपडे पहन लिए. मैंने उसकी ब्लाउज में ५०० का नोट ठूंस दिया. वोह बहुत खुश हुई. फिर बोली-"' साहब आपसे चुदवा कर मुझे बहुत मजा आया , अभी तो मैं जा रही हूँ, पर आपको और मजा दूंगी,"


बाद में मैंने रौशनी के साथ काम करने वाली और भी औरतो को छोड़ा, उसकी कहानी बाद में लिखूंगा.