makan malkin ki boor

शादी शुदा औरतो की बुर चोदने में जो मज़ा है वोह, कुंवारी बूर  में नहीं है. मुझे हमेशा से शादी शुदा औरतों के साथ ज्यादा मज़ा आता था. बात २ साल पहले की है, मेरी पोस्टिंग पलामू एक छोटे से शहर में थी. बहु मुश्किल से एक ढंग का माकन किराये पे मिल पाया था. पहली मंजिल पे मेरा कमरा था. मकान मालकिन एक विधवा औरत थी जो अपने बेटे और बेटी के साथ रहती थी. बेटे की शादी हो चुकी थी और बेटी अभी सिर्फ १७ साल की थी. ये कहानी उसकी बहू के बारे में है . उसका नाम सिम्मी था. उम्र कोई ३०-३२ की होगी.पर लगाती एकदम २० की थी. गोरी चिट्टी, कसा हुआ बदन, गोल गोल चूचियां और मदमस्त गांड जिसे देखते ही लंड खड़ा हो जाता था

मैं रोज सुबह ऑफिस चला जाता था और रात होने पे ही वापस आता था. सिम्मी मुझे ज्यादातर सुबह के समय ही दिखती थी. वो सुबह आँगन में झाड़ू लगा रही होती थी. उसकी चूचियां ब्लाउज से बहार आने को बेताब रहती थी. मैं भी चोर निगाहों से उसकी गोरी गोरी चुचियों का दीदार कर लेता था. वो मुझे देखकर मुश्कुरा देती थी. शायद उसे पता था की मैं उसकी चुचियों का रसपान कर रहा हूँ.

एक दिन शनिवार  को मैं सुबह बहुत देर से उठा. घडी में देखा तो १० बज रहे थे. ऑफिस की छुट्टी थी इसलिए मुझे कोई जल्दी नहीं थी, मैं उठकर कमरे से बहार छत पे टहलने लगा. अचानक मेरी नज़र निचे आँगन में चली गयी. मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी और लंड  एकदम से खड़ा हो गया. निचे सिम्मी नहा रही थी. वो सिर्फ पेटीकोट में थी जो उसने अपनी चुचियों के ऊपर बांध रखा था. वो बैठ कर कपडे धो रही थी. उसकी आधी नंगी टाँगे दिखाई दे रही थी, एकदम गोरी और चिकनी. उसकी नंगी पीठ पे पानी की बुँदे मोतियों जैसे लग रहे थे. अचानक उसने मेरी ओर देखा, मैं घबरा कर पीछे हट गया ताकि वो मुझे नहीं देख सके. पर शायद उसने मुझे देख लिया था. वो मुश्कुराने लगी. वो और ज्यादा हील हील कर कपडे धोने लगी. जिसके कारण उसकी चूचियां उछलने लगी. वो बार बार छत की तरफ देख कर मुश्कुरा रही थी. मैं समझ गया की सिम्मी ने मुझे देख लिया है. पर वो भी मुझे अपना मस्त बदन दिखाना चाहती है. मैं फिर आराम से वहां खड़े हो कर मजा लेने लगा. फिर सिम्मी मुझे दिखा दिखा कर नहाने लगी. उसने अपना पेटीकोट को निचे किया और अपने चुचियों पे साबुन लगाने लगी. वो अपने चुचियों को खूब मसल रही थी और मेरी ओर देख कर मुश्कुरा रही थी. थोड़ी देर बाद उसने अपना पेटीकोट बिलकुल अलग कर दिया . उसने चड्डी नहीं पहनी थी, अन्दर बिलकुल नंगी  थी, उसकी चिकनी बुर देख कर मैं एकदम पागल हो गया. मेरा लंड पैंट में एकदम से खड़ा हो गया. वो बड़े मजे से नहा रही थी, अपने बुर में साबुन लगा लगा कर मुझे दिखा रही थी. उसकी बुर और गांड देख कर मुझे लग रहा था जैसे अभी उसे पटक कर चोद दूं.  मेरा लंड पैंट में फनफना रहा था. पर मैंने सोचा की जो मजा मिल रहा है वो ले लो, कहीं ज्यादा के लालच में ये भी न चला जाये. करीब १५ मिनट तक अपने चुदास भरी बुर के दर्शन करवाने के बाद सिम्मी कपडे पहन कर घर में चली गयी. मैं भी अपने कमरे में गया मुठ मार कर अपने लंड को हल्का किया. 

अभी में कमरे में ही था की दरवाज़े पे हलकी दस्तक हुई. मैंने खोला तो देखा की सामने सिम्मी खड़ी थी. वो मुझे देख कर मुशकुराती हुई बोली-" क्या कर रहे थे छत से , जब में निचे नहा रही थी" . मैंने सोचा लगता है आज तो इसको चोदने का मौका मिल ही गया, जब साली खुद ही चुदवाना चाहती है तो मैं क्यूँ मौका छोडू . मैंने कहा की " आपको नहाता देख कर बहुत मजा आरहा था. आप बहुत सुन्दर और सेक्सी हैं". सिम्मी मेरे कमरे के भीतर आगई और मेरे बिस्तर पे बैठ गयी. थोड़ी देर मुझे घूरने के बाद बोली:- " आपने तो मेरा सब कुछ देख लिया, पर मुझे तो कुछ भी नहीं दिखाया न. ये तो गलत बात है". मैं उसका इशारा समझ गया, दरवाजा बंद किया और झट से उसके पास बिस्तर पे चला गया.

मैं -" डार्लिंग, दिखाना क्या है, मैं तो तुम्हे पूरा मज़ा दूंगा, तुम्हारी बुर चोद कर सीधे जन्नत का मज़ा दूंगा." और उससे लिपट गया.
सिम्मी:- " जाने मन तुम्हारे जैसे मर्द से तो चुदवाना मेरा सपना है, जब से तुम आये हो, मैं तो तुमसे चुदवाने के लिए पागल हुई जा रही थी. मेरी बुर कबसे तुम्हारे लुंड के लिए मचल रही है. आज मेरी बूर को फाड़ दो."

 उसकी सेक्सी बातें सुनकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसके रसीले होठों को चूसने लगा. 

उसके होठों को चूसने के साथ साथ मैं एक हाथ से उसकी चुचियों को भी मसल रहा था. सिम्मी मस्ती में कराह रही थी, फिर मैंने उसके कपडे उतरने शुरू किये. उसने अन्दर ब्रा और चड्डी नहीं पहनी थी. वो एकदम नंगी मेरे सामने थी. फिर उसने भी मेरी पेंट उतार दी, मेरा लंड सीधा खड़ा था. सिम्मी बोली," राजा  तुम्हारा लंड तो जबरदस्त है, इससे चुदवाने में तो बहुत मजा आएगा." वो बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में लेकर चूसने लगी. एकदम लोलीपोप की तरह चूस रही थी मेरे लंड को. मुझे बहुत मजा आ रहा था. थोड़ी देर बाद मैंने उसे ६९ की पोज में लिटाया और उसकी बूर को चाटने लगा. उसकी सिसकियाँ एकदम से तेज़ हो गयी...सिम्मी बोली" आह्ह.... मेरे राजा.. आजतक मेरी बूर किसी ने नहीं चाटी है... चाटो... चाट चाट कर मेरा सारा रस पि जाओ.. बहुत मजा आ रहा है... सिसिसिसिसी.... आह्ह्ह्हह... "
मैं और जोर से उसकी बूर को चाटने लगा. उसकी बूर का नमकीन रस बड़ा ही नशीला था. उसकी बूर से निकलती मादक खुसबू मुझे मदहोश कर रही थी. मेरा लंड उसकी मुह में झड़ने वाला था. थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने अपने सारा वीर्य उसकी मुह में छोड़ दिया. वो मेरा सारा रस चाट गयी. एकदम रंडी लग रही थी वो. 
फिर मैंने उसे बिस्तर पे पीठ के बल लिटाया और उसकी दोनों टांगो को फैला दिया, अपने लंड के सुपारे को उसकी बूर के मुह पे रगड़ने लगा, वो पानी से बहार आयी मछली की तरह छटपटाने लगी. बोली :- " डार्लिंग, अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता, डाल दो अपने लंड को मेरी बूर में, जल्दी डालो ,,, प्लीज ...."
मेरा मोटा लंड उसकी बूर को ककरी की तरह चीरता हुआ आधा अन्दर घुस गया. वो चिल्ला पड़ी.. "बाप रे बाप.. फट गयी मेरी बूर... अरे तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा और बड़ा है.. ऐसा लग रहा है जैसे मैं पहली बार चुदा रही हूँ... ऊई माँ .." थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द शांत हुआ तो वो फिर चुदवाने के लिए तैयार हो गयी.. " अब एक झटके के साथ अपना पूरा लंड मेरी बूर में पेल दो.. रुकना नहीं... सच्ची में फाड़ दो मेरी बूर को... बहुत मजा आरहा है."
मैंने एक जोर के झटके के साथ अपना लंड उसके बूर में पेल दिया. 

मैंने धक्के मारने शुरू किया,, हर धक्के के साथ सिम्मी की सिस्कारियां तेज़ होती गयी  वो रंडी की तरह बोल रही थी  " आह.... मेरे राजा... और जोर से चोदो... और अन्दर डालो... फाड़ दो मेरी बूर.. इसका भोसड़ा बना दो ... चोदो मेरे राजा.. चोदो..."

मेरे हर धक्के के साथ सिम्मी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी, पूरा कमरा उसकी सिस्कारियों और फ़च्छ फ़च्छ की आवाज़ से बहर गया था.. मुझे तो जन्नत का मजा आ रहा था. मैं साथ ही साथ उसकी चुचियों को भी मसल रहा था..  मैं भी जोश में उसे अपनी रंडी की तरह ही समझ रहा था ."' साली चुदक्कर .. तेरी बूर का आज में भोसड़ा बना दूंगा... बहुत दिनों से तेरी बूर चोदने का मन था मेरा... आज तो तेरी बूर को फाड़ दूंगा... फिर तू मेरे सिवा और किसी से नहीं चुद्वायेगी.. उछाल अपनी गांड... और अन्दर ले मेरा लंड..."

करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मुझे लगा की आब में झड़ने वाला हूँ.. मैंने अपना लंड बहार निकला और तुरंत उसकी मुह में घुसा दिया. उसके मूह को २-४ बार चोदने के बाद मैंने अपना सारा माल उसकी मूह में निकल दिया.. वोह भी बड़े मजे से मेरा सारा वीर्य गटक गयी.. उसकी चेहरे पे अजीब सी चमक थी. फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गया.  थोड़ी देर बाद जब हमारी साँसे सामान्य हुई तो वोह मुझे चुम्मा लेते हुए बोली " डार्लिंग, आज तक मुझे इतना मजा कभी नहीं आया था. तुमसे चुदवाने के बाद, मुझे पता चला की सच्ची चुदाई किसको कहते है. मेरे पति का लंड तो बहुत छोटा है और वो २ मिनट में ही ढीला पड़ जाता है. तुम्हारा लंड तो एकदम दुमदार है.. मेरी बूर को एकदम फाड़ दिया इसने.. आब तो जब भी मौका मिलगे मैं तुमसे चुदवाउंगी "... थोड़ी देर बाद वो कपडे पहन कर निचे चली गयी. उस दिन के बाद हमें जब भी मौका मिलता में उसकी बूर को फाड़ देता. बाद में उसने अपनी ननद की बूर भी मुझे दिलाई. वो मैं अगली कहानी में लिखूंगा.